जड़वत जीवन में चैतन्यता का संचार करती है भागवत कथा:मनोज चतुर्वेदी

संवाददाता सार्थक नायक

झाँसी- शिवपुरी रोड पर रामजी रिसॉर्ट एण्ड गार्डन में कामधेनु गौ सेवा समाज कल्याण ट्रस्ट के तत्वावधान में चल रही अष्टोत्तरशत श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन महात्म्य की कथा का वर्णन किया गया।भागवत कथा के शुभारंभ में बुंदेलखंड के प्रख्यात सितार वादक एवं मैहर घराने के संगीतगुरु पं परशुराम पाठक एवं विख्यात सितार वादक पं सरजूशरण पाठक का गुरुकुल पद्धति से संगीत के क्षेत्र में सैकडों शिष्यों को निशुल्क शिक्षा देने के लिए व्यास मंच से सम्मान किया गया।भागवत कथा का शुभारंभ करते हुए प्रख्यात भागवताचार्य धर्मगुरु आचार्य मनोज चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से बड़े से बड़े पापी भी तर जाते है।उन्होंने कहा कि सत्संग कई जन्मों के पुण्यों के प्रभाव से सुनने को मिलता है।श्रीमद्भागवत वेदरूपी बृक्ष का पका हुआ फल है,जो गुरू परंपरा से स्वर्ग से धरा धाम पर आया।उन्होंने कहा कि विद्वानों का सम्मान करना श्रीमद्भागवत कथा सिखाती है।अष्टोत्तरशत शत में 108 वैदिक विद्वानों द्वारा श्रीमद्भागवत का पाठ किया जा रहा है।इस दौरान भागवत कथा व्यास आचार्य पं कृष्ण बिहारी तिवारी टिंकू महाराज कोटरा,आयोजक मण्डल के प्रमोद शिवहरे,जी पी चतुर्वेदी,जयप्रकाश आर्य सहित दूर दराज से आये हुए भक्तों का समुदाय उपस्थित रहा।

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