युवा पीढ़ी को संगीत एवं साहित्यिक क्षेत्र में जाग्रत करने के लिए संगीत साहित्य के मूर्धन्य विद्वानों की विचार गोष्ठी हुई संपन्न

संवाददाता सार्थक नायक

 

गुरसरांय। नगर के संगीत एवं साहित्य का गौरव बुंदेलखंड ही नही समस्त देश में जाना जाता है।जहां साहित्यकार अपनी कविता से जाने गए वहीं संगीतकारों की साधना से संगीत जगत में भी नाम पहिचाना गया।उक्त उद्गार आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के कलाकार वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शिवाजी चौहान ने संगीत साहित्य की एक विशेष गोष्ठी में व्यक्त किये।संगीतगुरु पं परशुराम पाठक ने कहा कि संगीत एवं साहित्य का पारस्परिक संबंध रहा है।कवियों के साहित्य को संगीत की माला में पिरोकर जब कविता की प्रस्तुति की जाती है तो वह गीत बन जाता है।
उन्होंने श्री रामचरित मानस के अध्ययन को जरूरी बताते हुए कहा कि जिसने इसको पढ़ लिया समस्त साहित्य का ज्ञान हो जाएगा।
डॉ शिवाजी चौहान ने इस मौके पर अपनी कविता में कहा कि केवट के घर राम पधारे खुल गए भाग्य हमारे
अंधियारे घर मे देखो अब फैल गए उजियारे सहपाठी अपने पाठक जी घर पर,प्रेम हृदय में धारे सरमन सुत सरजू के संग में दर्शन दये सुखारे प्रस्तुत कर पुरानी यादें ताजा कीं।उन्होंने कहा कि शीघ्र ही संगीत साहित्य की एक सेमिनार आयोजित कर विद्वत जनों को आमंत्रित कर युवा पीढ़ी को जाग्रत किया जाएगा।उन्होंने कहा युवा पीढ़ी सूर, कबीर, मीरा,तुलसी के ग्रंथों का अध्ययन करें तो एक नई दिशा की ओर जाग्रत होंगे।इस मौके पर शिवकुमार तिवारी,मेजर अखिलेश पिपरैया, प्रधानाचार्य धनप्रकाश तिवारी,रमेश मौर्य,प्रकाश चंद्र जैन,सरजू शरण पाठक,देवेन्द्र घोष,जगमोहन समेले ,ओ पी शर्मा ,कैलाश गुप्ता आदि लोग उपस्थित रहे।

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