जनसूचना समय से न देने पर ग्राम पंचायत विकास अधिकारी पर लगाया गया ₹25000 का जुर्माना

संवाददाता सार्थक नायक

 

गुरसराय। जनसूचना समय से ना देने पर ग्राम पंचायत विकास अधिकारी पर ₹25000 का जुर्माना लगाया गया है। बताया गया है कि समीपस्थ ग्राम नगरा निवासी पूर्व प्रधान मन्नीलाल श्रृंगी ऋषि ने ग्राम नगरा में किए गए विकास कार्यों के लिए इस संबंध में सूचना का अधिकार का प्रयोग करके विकासखंड बामोर के वी डी ओ के माध्यम से ग्राम पंचायत विकास अधिकारी से कुछ जरूरी सूचना मांगने के लिए आवेदन किया था। परंतु ग्राम पंचायत विकास अधिकारी के द्वारा सूचनाएं निर्धारित अवधि के बीत जाने के बाद भी उपलब्ध नहीं कराई गई तो आवेदक ने प्रथम अपील की फिर भी सूचनाएं आवेदक को प्राप्त नहीं हो सकी मजबूर होकर आवेदक मन्नी लाल श्रृंगी ऋषि ने मुख्य सूचना आयुक्त राज्य सूचना आयोग उत्तर प्रदेश के यहां द्वितीय अपील की।जांच उपरांत ग्राम पंचायत नगरा के सचिव को जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 में शिथिलता बरतने का दोषी मानते हुए उसके ऊपर राज्य सूचना आयुक्त चंद्रकांत पांडे की पीठ द्वारा उक्त सचिव के ऊपर ₹25000 का जुर्माना मुकर्रर किया है। सूचना आयोग ने संयुक्त रजिस्ट्रार उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के माध्यम से जिला पंचायत राज अधिकारी झांसी को निर्देशित किया है कि उपरोक्त अर्थदंड सचिव के वेतन से वसूल कर लेखा शीर्ष मे जमा करे। बताते चलें कि जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 मैं आम जनमानस को किसी भी सरकारी कार्यालय से सूचनाएं मांगने का अधिकार प्राप्त है देश का कोई भी नागरिक सूचनाएं मांग सकता है जिसकी अवधि 30 दिन होती है मगर सरकारी कर्मचारी इसको महत्व नहीं देते हैं और उदासीन होकर टाला मटोली करते हैं ग्राम नगरा निवासी पूर्व प्रधान मंत्री लाल श्रृंगी ऋषि ने हार नहीं मानी और और बराबर संघर्ष करते हुए अपील करते रहे अंत में सूचना आयोग के द्वारा उक्त सचिव को दंडित किया गया। सूचना का अधिकार के प्रति नौकरशाह नहीं चाहते कि यह कानून सफल हो इसीलिए आवेदक को सूचना मांगने पर महीनों एवं सालों तक टाला जाता है जबकि यह कानून बेहद शक्तिशाली और जवाब देह है और इसमें अर्थदंड यानी जुर्माना का भी प्रावधान है। इस कानून के तहत जन सूचना अधिकारी की जवाबदेही तय है सभी तरह की सूचनाएं किसी भी सरकारी कार्यालय का निरीक्षण दस्तावेजों का निरीक्षण निर्माण कार्यों में स्वतंत्र एजेंसी से जांच प्रिंटआउट सीडी और सभी प्रकार का वह रिकॉर्ड जो सरकारी कार्यालय में मौजूद है इसमें सभी सरकारी अर्ध सरकारी कार्यालयों सहित वह प्रतिष्ठान भी आते हैं जहां किसी भी प्रकार से सरकार द्वारा धन मुहैया कराया जाता है।

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