संवाददाता M L कुशवाहा
मैं ईश्वरवादी नहीं,तर्कवादी हूं। मैं नदी को देवी नहीं;सिर्फ नदी ही मानता हूं। फिर भी हमारे परिवार ने नदियों को दूषित न करने का निर्णय लिया है।
मन बहुत व्यथित है, समय कठिन है, अंधविश्वास और तर्क में से एक को चुनना है,फैसला मुश्किल है। लेकिन मैंने तर्क को चुना। इस फैसले में मेरे पिता, पत्नी और बहनों ने पूरा साथ और समर्थन भी दिया।
आज माता जी की चिता से उठाई गई भस्म (राख) को पहले अपने पुस्तैनी खेतों पर,फिर मां के गांव में मामाओं के खेतों में उस भस्म को पिताजी व टीम बदलाव के साथियों अतुल अहिरवार, प्रवेश निरंजन, प्रदीप महतवानी, अनिल सोनी, रामजीवन याज्ञिक व रंजीत सिंह चौधरी के साथ छिड़काव किया।
— नीरज भाई पटेल,नेशनल जनमत,गांव- गढर, उरई , जिला – जालौन से।