गुरसरांय किला को प्रदेश के पर्यटन मानचित्र में लाने की मांग हुई तेज

संवाददाता सार्थक नायक

गुरसरांय(झांसी)। बुंदेलखंड के ऐतिहासिक भवनों का सौंदर्यीकरण और प्राचीन धरोहर के जिम्मेदार संरक्षण एवं विकास के लिए सन् 1982 से संघर्षशील अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के उपाध्यक्ष हरगोविंद्र कुशवाहा की मेहनत रंग लाती धरातल पर दिख रही है और इसके लिए वर्तमान विधानपरिषद सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने भी विकास की गति के साथ प्राचीन धरोहर को गति देने के लिए और ऐतिहासिक भवनों का सौंदर्यीकरण के लिए एक कदम आगे बढ़कर काम किया है लेकिन इसको पूरी तरह धरातल पर विकसित करने के लिए गुरसरांय का ऐतिहासिक किला से लेकर गरौठा क्षेत्र में कई प्राचीन स्थल प्राकृतिक सौंदर्य तथा ऐतिहासिक और धार्मिक का जो प्राचीन स्वरूप है उसे निखारने के लिए गुरसरांय क्षेत्र समेत गरौठा, टहरौली, एरच आदि क्षेत्र के लोगों ने शासन से ऐतिहासिक भवनों का सौंदर्यीकरण कर हेरिटेज सर्किट में गुरसरांय किला को प्रमुखता से सम्मिलित कर भक्त प्रहलाद द्वौ के एरच समीप बेतवा नदी के किनारे प्राचीन एतिहासिक स्थल विकसित करने की मांग उठी है।बताते चलें कि टहरौली किला को संरक्षण और विकसित करने के लिए लगातार 40 वर्षो का संघर्ष राज्यमंत्री हरगोविन्द कुशवाहा का रहा है और इसके लिए उन्होंने सारे तथ्यों को संग्रह करके समय समय पर राज्य सरकार के पास प्रभावी ढंग से बात रखी लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी,और जब इरादा पक्का हो तो मंजिल मिलना तय होती है मौका था 22 मार्च 2023 का और बुंदेलखंड के एक मात्र बेदाग छवि और क्षेत्र में जब भी मौका मिला एतिहासिक काम करने का उस मौके पर छक्का लगाने वाले कुंवर मानवेन्द्र सिंह उनका इतिहास रहा है कि जब वह प्रथम बार विधायक बने तो उस समय भाजपा की सरकार नहीं थी और गरौठा क्षेत्र दस्यु प्रभावित क्षेत्र था और विधायक निधि भी उस समय नहीं हुआ करती थी उस दौरान वेतवा से सटे क्षेत्र में कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने दस्यु उन्मूलन हेतु सड़क निर्माण का प्रस्ताव रखा और वह स्वीकृत होकर अब तक धरातल पर नजीर बनकर सामने हैं 22 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के उपाध्यक्ष हरगोविंद्र कुशवाहा लखनऊ में थे तो दूसरी ओर पर्यटन व संस्कृति विभाग की एक संगोष्ठी लखनऊ में हुई जिसमें बतौर मुख्य अतिथि विधान परिषद सभापति भारतीय जनता पार्टी के प्रथम गरौठा विधायक के रुप में कुंवर मानवेन्द्र सिंह इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे जबकि अध्यक्षता पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह कर रहे थे हरगोविंद्र कुशवाहा ने लगातार पिछला स्मरण हनुमान जी की तरह दिलाते हुए टहरौली किला को शासन स्तर पर सौंदर्यीकरण कर हेरिटेज सर्किट में सम्मिलित करने के लिए दो बार वार्ता की और झांसी जिला ही नहीं पूरे बुन्देलखण्ड के लिए उक्त दोनों नेताओं ने प्राचीन धरोहर संस्कृति के लिए विकास की एक नई तस्वीर बना डाली। और पुराने भवनों के जीर्णोद्धार करके स्थानीय विशिष्टताओ को महत्व दिया जायेगा। बताते चलें पूरे उत्तर प्रदेश की ऐसी प्राचीन धरोहरें भव्य स्तर पर एक नया मॉडल के रुप में पर्यटन के नजरिए से और क्षेत्रीय पहचान संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ऐतिहासिक कदम होगा। गुरसरांय का किला ऐतिहासिक है और बहुत ही रमणीय स्थल के रुप में उभर सकता है इसको सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर न केवल गुरसरांय बल्कि झांसी जिले से लेकर पूरे देश में कहीं न कहीं कुछ ऐतिहासिक पन्ने गुरसरांय किले से झांसी रानी मराठी राज्य से जुड़ा है।झांसी गुरसरांय किला विकसित होने से आने वाली युवा पीढ़ी को प्राचीन स्थलों की महत्वता की यादें तारोताजी रखने के लिए गुरसरांय किला सर्वोच्च प्राथमिकता से विकसित करने की मांग गुरसरांय कस्बे के प्रमुख संगठनों समाजसेवियों ने की है क्योंकी जहां कुंवर मानवेन्द्र सिंह का यह क्षेत्र है वहीं राज्यमंत्री हरगोविंद्र कुशवाहा की शिक्षा ग्रहण स्थली रहा है। और उनकी पढ़ाई गुरसरांय पं रामसहाय शर्मा खैर इंटर कॉलेज में हुई है और वह शर्मा जी के प्रिय शिष्यों में रहे हैं। गोविंद्र राव खैर विधानसभा के ऐतिहासिक अध्यक्ष भी रहे हैं उनका ताल्लुकात गुरसरांय किला से लेकर गुरसरांय समेत पूरे जिले और प्रदेश में अपना महत्व रहा है इसलिए गुरसरांय किला को क्षेत्र के वासिंदायों ने गुरसरांय किले को हेरिटेज सर्किट पर्यटन के तहत विकसित करके जीर्णोद्धार कराकर ऐतिहासिक स्थलों को विकसित करने की मांग की है।

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